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परंपरागत खेती को छोड़ लगाया जुगाड़ू दिमाग थोड़े से समय में कमाई लाखो जान लो कैसे

बिहार के रोहतास जिले के करकटपुर गांव के अर्जुन पासवान ने यह साबित कर दिया कि अगर इरादे पक्के हों, तो कम संसाधनों में भी बड़ी कामयाबी हासिल की जा सकती है। उन्होंने पारंपरिक खेती को छोड़कर मशरूम की खेती शुरू की और अपनी मेहनत से नया मुकाम बनाया।

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ऑयस्टर से की शुरुआत

शुरुआत में अर्जुन ने ऑयस्टर मशरूम की खेती की जो कम खर्च और आसान होती है। धीरे-धीरे अनुभव बढ़ने पर उन्होंने बटन मशरूम की कमर्शियल खेती शुरू की, जो आज उनके लिए आमदनी का बड़ा जरिया बन चुकी है।

खेती के दो तरीके

अर्जुन दो तरीकों से मशरूम उगाते हैं – ऑर्गेनिक और केमिकल। ऑर्गेनिक तरीके में सिर्फ प्राकृतिक चीज़ें इस्तेमाल होती हैं जबकि केमिकल में भूसे को फॉर्मालिन और विवेस्टिन से संक्रमणमुक्त किया जाता है। दोनों में उत्पादन लगभग बराबर होता है।

ऑयस्टर मशरूम

ऑयस्टर मशरूम की खेती सबसे आसान मानी जाती है। भूसा काटकर पीपी बैग में भर कर ठंडी और नमी वाली जगह रख दी जाती है। महज 30 दिनों में फसल तैयार हो जाती है और खर्च भी कम होता है।

बटन मशरूम

बटन मशरूम की खेती थोड़ी मेहनत मांगती है। पहले एक महीने कंपोस्ट तैयार होता है, फिर बीज बोने के 10 दिन बाद मायसेलियम बनता है और फिर केसिंग के 15 दिन बाद मशरूम निकलता है।

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प्रेरणा बने गांव के नौजवानों के लिए

सरकार से अर्जुन को 50% सब्सिडी मिली और अब तक वे दर्जनों किसानों को मशरूम की ट्रेनिंग दे चुके हैं। उनकी लगन और जज़्बे ने यह साबित कर दिया कि बदलाव का रास्ता कठिन जरूर है, लेकिन नामुमकिन नहीं।

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